कपास में लगने वाले रोग, उनके कारण और रोकथाम के उपाय

Written By Atul Bharat
On: Monday, June 9, 2025 9:09 PM

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Diseases in cotton, their causes and prevention measures
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कपास भारत में बोई जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण फसलों में से एक है और ये किसानों के लिए सफ़ेद सोना कहलाती है। किसान भाइयों आप सभी जानते है की कपास की खेती किसानों के लिए कितनी महत्वपूर्ण होती है। कपास की खेती करते समय किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जिनमे इनमे लगने वाले रोग भी शामिल है। कपास की फसल में कई प्रकार के रोगों का प्रकोप होता है जिनका अगर समय पर इलाज नहीं किया गया तो ये पूरी फसल को बर्बाद कर देते है।

किसान भाइयों आपको इन रोगों के लक्षणों से पहचानना होगा की कौन सा रोग आपकी फसल में लगा हुआ है और उसी से आपको रोकथाम के उपाय भी करने होंगे। आइये अतुल भारत के इस आर्टिकल में आपको कपास में लगने वाले प्रमुख रोगों के लक्षण, लगने का कारण और उनकी रोकथाम के बारे में जानकारी देते है ताकि आप अपनी फसल को आसानी से इन रोगों से बचा सके। किसान भाइयों आप हमारे WhatsApp या फिर Telegram ग्रुप के साथ में जुड़ सकते है जिन पर आपको रोजाना खेती से जुडी जानकारी पढ़ने को मिलती है।

कपास में लगने वाले प्रमुख रोग कौन कौन से है?

किसान भाइयों कपास में कई रोगों का प्रकोप होता है। इनमे झुलसा रोग (Alternaria Leaf Spot), जड़ सड़न रोग (Root Rot), क्टीरियल ब्लाइट (Bacterial Blight), विल्ट रोग (Fusarium Wilt) और गुलाबी सुंडी (Pink Bollworm) प्रमुख है और इनके चलते किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। आप सभी इन रोगों की आसानी के साथ में पाचन करके इनकी रोकथाम का उपाय कर सकते है। आइये आपको एक एक करके इन रोगों के बारे में जानकारी देते है ताकि आप आसानी से अपनी कपास की फसल को इन रोगों का प्रकोप से बचाव कर सकते है।

झुलसा रोग (Alternaria Leaf Spot)

कपास में लगने वाला ये रोग पत्तो से शुरू होता है और शुरआत में पत्तो पर छोटे-छोटे भूरे या काले धब्बों के रूप में शुरू होता है। ये धब्बे बाद में धीरे धीरे बड़े होने लगते है और पत्तियों को सूखा देते है। इन रोग के लगने का कारण खेत में पानी का जमा होना होता है। गर्मी अधिक हो और पानी अधिक जमा हो जाये तो कपास में ये रोग शुरू हो जाता है। अधिक पानी के चलते पौधों में और उनके आसपास में फफूंद (Alternaria fungus) का फैलना शुरू हो जाता है जिसके चलते ये रोग कपास में फैलने लगता है।

इस रोग से अगर आपको अपनी कपास की फसल को बचाना है तो आपको सबसे पहले खेत से पानी की निकासी का प्रबंध करना पड़ेगा ताकि पानी खेत में जमा ना होने पाए। इसके अलावा आपको ये भी ध्यान रखना होगा की फसल चक्र का इस्तेमाल करके आप आसानी से इन रोगों से छुटकारा पा सकते है। जिस खेत में इस बार कपास की बुवाई की है तो अगले साल आपको इस खेत में कपास की खेत नहीं करनी है जिससे ये रोग अपने आप ही ख़त्म हो जाते है। आप कपास में मैंकोजेब या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड जैसी फफूंदनाशक दवाइयों का इस्तेमाल करके भी इनको आसानी से खत्म कर सकते है जिससे आपकी कपास की फसल इस रोग से बची रहेगी।

जड़ सड़न रोग (Root Rot)

ये रोग कपास की फसल से सबसे अधिक प्रभाव डालता है और इस रोग के चलते पौधों की जेड गलने लगती है और धीरे धीरे करके पौधे सूखने लगते है। पौधा अपने सभी प्रकार के पौधक तत्व जड़ों के माध्यम से ही ग्रहण करता है और अगर जड़ें गलकर ख़राब होने लगेगी तो पौधा पौधक तत्वों को नहीं ले पायेगा और धीरे धीरे खत्म होने लगता है। किसान भाइयों मिट्टी में फफूंद का होना या फिर खेत में अधिक पानी का होना इस रोग का प्रमुख कारण होता है। कई बार पौषक तत्वों की कमी के चलते भी कपास में इस रोग के लगने की सम्भावना बन जाती है।

कपास की फसल को इस रोग से बचाने के लिए आपको सबसे पहले को जैविक खादों की कमी नहीं होने देनी है ताकि पौधों को पौषक तत्व आसानी से मिल सके। इसके अलावा आप बुआई से पहले अगर ट्राइकोडर्मा जैसे जैविक फफूंदनाशक से बीजों का उपचार कर लेते है तो भी फसल को इस बीमारी से बचाया जा सकता है। आप कपास के खेत में पानी का निकास अच्छे से अगर करते है तो भी इस समस्या से बचा जा सकता है।

बैक्टीरियल ब्लाइट (Bacterial Blight)

किसान भाइयों कपास में बैक्टीरियल ब्लाइट (Bacterial Blight) नामक रोग भी काफी अधिक प्रभाव डालता है। इस रोग की शुरुआत में आपको खेत में पौधों पर पत्तियों पर पानी के बड़े बड़े धब्बे दिखाई देंगे जो की बाद में काले रैंड में बदल जाते है। ये धब्बे पौधे की पत्तियों के साथ साथ में उसकी टहनियों को भी अपने प्रभाव में लेते लेते है और धीरे धीरे पौधों को खत्म करने लगते है। इस रोग के लगने का सबसे बड़ा कारण बैक्टीरिया (Xanthomonas campestris) का संक्रमण होता है और इसके साथ ही अगर खेत में अधिक बारिश के चलते नमी की मात्रा अधिक हो गई है तो भी इस रोग का प्रकोप बढ़ जाता है।

अगर आपको अपनी कपास की फसल को इस रोग से बचना है तो आपको शुरुआत में ही प्रमाणित और रोगमुक्त बीजों की खरीदारी करके बुवाई करनी होगी। इसके अलावा आप कॉपर-आधारित कीटनाशकों का छिड़काव करके भी अपनी कपास की खेती को इस रोग से बचा सकते है। किसान भाइयों आपको ध्यान रखना होगा की इस रोग का प्रकोप अगर खेत में होता है तो आपको संक्रमित पौधों को खेत से उखड कर बाहर करना होगा ताकि इस रोग के फैलने को रोका जा सके।

विल्ट रोग (Fusarium Wilt)

कपास का सबसे खतरनाक रोग जो किसान भाइयों को पता भी नहीं चलता और पौधों को खत्म कर देता है। इस रोग में पौधे मुरझाने लगते है तथा उसकी पत्तियां पिली पड़ने लगती है। ये रोग पौधों में जड़ों से शुरू होता है और धीरे धीरे पुरे पौधे को अपनी चपेट में ले लेता है। किसान भाइयों ये पौधा फफूंद (Fusarium oxysporum) से शुरू होता है और अगर खेत की मिट्टी में रोगाणुओं का प्रकोप अधिक है तो भी ये रोग पौधों में लग जाता है। इस रोग का सबसे बड़ा कारण एक ही खेत में लगातार कपास की खेती करने के कारण शुरू होना है। इसलिए कभी भी किसानों को एक ही खेत में लगातार कपास की खेती नहीं करनी चाहिए।

इस रोग से अगर आपको अपनी कपास की खेती को बचाना है तो सबसे पहले तो आपको अपने खेत के लिए कपास की रोग-प्रतिरोधी किस्में जैसे नरमा या हाइब्रिड का चुनाव करना होगा। इसके अलावा फसल चक्र के जरिये आप आसानी से इस रोग से बचाव कर सकते है। ट्राइकोडर्मा या कार्बेन्डाजिम जैसे फफूंदनाशकों का इस्तेमाल करके भी आप अपनी कपास की फसल को इस रोग से बचा सकते है।

कीट जनित रोग (जैसे गुलाबी सुंडी)

किसान भाइयों आप सभी अच्छे से जानते है की गुलाबी सुंडी (Pink Bollworm) कपास की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचती है तो साथ ही ये किसानो की पैदावार को काफी कम कर देती है। इस रोग के चलते कपास के टिंडे ख़राब हो जाते है और कपास के रेशे और बीज दोनों ही ख़राब हो जाते है। ये रोग अक्सर खेत में पुराणी फसलों के अवशेष बाकि रह जाने के चलते या फिर खेत में कीटों के प्रकोप का सही समय पर उपचार नहीं करने के कारण होता है। किसान भाइयों इस रोग का भी आप आसानी से उपचार कर सकते है।

अगर आपको अपनी कपास की फसल को इस रोग से बचाना है तो आपको इसके लिए अपने खेत में बीटी कपास (Bt Cotton) की किस्मों की बुवाई करनी होगी क्योंकि बीटी कपास (Bt Cotton) की किस्मे कीटों के प्रति प्रतिरोधक छमता के साथ में विकसित की गई है। इसके अलावा आप अपने खेत में फेरोमोन ट्रैप का इस्तेमाल करके सुंडी की मौजूदगी का पता लगा सकते है और इसके बाद में आपको खेत में नीम तेल या प्रोफेनोफॉस जैसे कीटनाशकों का सही समय पर छिड़काव करके इस रोग से अपनी कपास की फसल का बचाव कर सकते है।

किसान भाइयों आप अपनी कपास की फसल को मौसम के हिसाब से बुवाई करके रोगों से मुक्त रख सकते है। इसके अलावा खेत की सफल भी अच्छे से अगर आप करते है तो पुराणी फसलों के अवशेष से जो रोग आते है उनको ख़त्म कर सकते है। कपास की खेती किसानों के लिए बहुत महत्पूर्ण होती है इसलिए इसको सही से करना बहुत जरुरी होता है। किसान भाइयों उम्मीद है की अतुल भारत के इस आर्टिकल में दी गई जानकारी आपके काम आएगी और आपको कपास की खेती में इससे काफी मदद मिलेगा। धन्यवाद

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