हरियाणा सरकार ने किसानों के लिए एक नई और आकर्षक योजना शुरू की है, जिसके तहत धान की सीधी बुवाई (Direct Seeding of Rice) करने वाले किसानों को प्रति एकड़ 4500 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। यह योजना न केवल किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगी बल्कि पानी और पर्यावरण संरक्षण (Water and Environment Conservation) में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी। यह कदम हरियाणा के कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति लाने की दिशा में उठाया गया है। आइये अतुल भारत पर आपको इस योजना के बाते में जानकारी देते है और आपको बताते है की आप कैसे इस योजना के तहत कैसे आवेदन करके लाभ ले सकते है।
क्यों शुरू की गई है ये योजना
किसान भाइयों आप सभी जानते है की हरियाणा में जल संकट एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। धान की पारंपरिक खेती में भारी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है, जो भूजल स्तर (Groundwater Level) को तेजी से कम कर रहा है। धान की सीधी बुवाई एक ऐसी तकनीक है, जिसमें खेत में पानी भरने की जरूरत नहीं पड़ती। इस तकनीक से न केवल पानी की बचत होती है, बल्कि खेती की लागत भी कम होती है। हरियाणा सरकार का यह कदम किसानों को इस आधुनिक तकनीक को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की दिशा में है। साथ ही, यह पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ खेती (Sustainable Farming) को बढ़ावा देने का एक प्रयास है।
कैसे मिलेगी आपको आर्थिक सहायता
हरियाणा सरकार ने धान की सीधी बुवाई करने वाले किसानों को प्रति एकड़ 4500 रुपये की वित्तीय सहायता देने का फैसला किया है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को कुछ जरूरी कदम उठाने होंगे। सबसे पहले, किसानों को इस योजना के लिए ऑनलाइन पंजीकरण (Online Registration) करवाना होगा। पंजीकरण की अंतिम तिथि 10 जुलाई 2025 है। किसान भाइयों यह पंजीकरण हरियाणा सरकार के आधिकारिक पोर्टल के माध्यम से किया जा सकता है। पंजीकरण के बाद, किसानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे धान की सीधी बुवाई की तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। सरकार की ओर से इसकी जांच के बाद सहायता राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में जमा की जाएगी।
धान की सीधी बुवाई के फायदे क्या है
धान की सीधी बुवाई एक ऐसी तकनीक है, जो न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि किसानों के लिए भी आर्थिक रूप से लाभकारी है। इस तकनीक में बीजों को सीधे खेत में बोया जाता है, जिससे पानी की खपत कम होती है। इसके अलावा, इस तकनीक से खेती की लागत में कमी आती है, क्योंकि इसमें रोपाई की जरूरत नहीं पड़ती। इससे मजदूरी का खर्च भी बचता है। साथ ही, इस तकनीक से धान की उपज (Paddy Yield) में भी वृद्धि देखी गई है। यह किसानों के लिए दोहरी मार है – कम लागत और अधिक उत्पादन।
हरियाणा में भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है और इसकी एक बड़ी वजह धान की पारंपरिक खेती है। धान की सीधी बुवाई से पानी की खपत में करीब 30-40% की कमी आती है। यह न केवल भूजल संरक्षण में मदद करता है, बल्कि पर्यावरण को भी स्वच्छ रखता है। इसके अलावा, इस तकनीक से मिट्टी की उर्वरता (Soil Fertility) भी बनी रहती है, क्योंकि इसमें खेत में पानी भरने की जरूरत नहीं होती, जिससे मिट्टी के पोषक तत्व सुरक्षित रहते हैं।
कैसे करें योजना के लिए आवेदन
इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को हरियाणा सरकार के आधिकारिक कृषि पोर्टल पर जाना होगा। वहां उन्हें योजना से संबंधित सभी जानकारी मिल जाएगी। पंजीकरण के लिए कुछ जरूरी दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण और खेत का विवरण देना होगा। पंजीकरण प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए सरकार ने स्थानीय स्तर पर सहायता केंद्र भी स्थापित किए हैं, जहां किसान अपनी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि पंजीकरण 10 जुलाई 2025 से पहले पूरा हो जाए ताकि कोई भी किसान इस अवसर से वंचित न रहे। किसान भाइयों इस आर्टिकल में इतना ही और उम्मीद है की आप सभी भी इस योजना में आवेदन करके लाभ जरूर लेंगे। धन्यवाद