फसलें

बाजरा की खेती में निराई-गुड़ाई के साथ ये काम करें, पैदावार बढ़ाएं

खेती-किसानी में मेहनत तो करनी पड़ती ही है साथ में आपको समझदारी भी दिखने की जरुरत होती है और इन दोनों का बराबर योगदान होता है तभी जाकर के आपको अच्छी पैदावार मिलती है। किसान भाइयों अगर आप बाजार की खेती कर रहे हैं यानी ऐसी फसलें उगा रहे हैं जो बाजार में आपको काफी अच्छा दाम देती हैं तो निराई-गुड़ाई के साथ कुछ और जरूरी कामों पर आपको अच्छे से ध्यान देना बहुत जरूरी है। किसान भाइयों ये जो छोटे छोटे काम है ये आपकी बाजरे की खेती में पैदावार को बढ़ाने में मदद तो करते ही है साथ में इन कामों को करने में लागत भी काफी कम आती है।

किसान भाइयों आइये जानते है की आपको अपनी बाजरे की खेती में निराई गुड़ाई के साथ साथ में और किन किन बातों पर ध्यान देना है ताकि आप अपनी इस खेती से अधिक से अधिक पैदावार ले सके। किसान भाइयो आप कृषि से जुड़ी ख़बरें अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते है और इसके लिए हमने WhatsApp और Telegram Group बनाया हुआ है जिसको आपको ज्वाइन करना है और घर बैठे आप फ्री में सभी अपडेट प्राप्त कर सकते है। आइये आगे बढ़ते है –

निराई गुड़ाई के बाद इस्तेमाल करें उर्वरक

बाजरा की फसल को सबसे अधिक नुकसान खरपतवारों से होता है इसलिए सभी किसान भाइयों को इसमें निराई गुड़ाई का काम करना जरुरी हो जाता है। आपको बता दें की निराई गुड़ाई के बाद में आपको खेत में खाद और उर्वरक देना बहुत जरुरी है इसलिए पौधों को पौषक तत्वों की जरुरत के समय में आपको खेत में खाद देना जरुरी हो जाता है। किसान भाइयों निराई गुड़ाई करने के बाद में आपको खेत में गोबर की खाद या फिर वर्मी कम्पोस्ट का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे फसल को किसी भी प्रकार का नुक्सान नहीं होता है और पूरा पौषण मिल जाता है। इसके अलावा आप नीम की खली का या फिर हरी खाद का इस्तेमाल भी कर सकते है क्योंकि ये भी बाजरे की खेती के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है।

सिंचाई करनी भी जरुरी है

किसान भाइयों वैसे तो आजकल बारिश का समय है और रुक रुक कर कई इलाकों में बारिश हो रही है इसलिए सिंचाई की जरुरत नहीं है लेकिन फिर भी जिन इलाकों में किसान भाई निराई गुड़ाई का काम कर रहे है और बारिश नहीं आ रही है तो उनको निराई गुड़ाई के तुरंत बाद में सिंचाई भी करनी चाहिए जिससे पौधें काफी तेजी के साथ में बढ़ते है और उनमे मजबूती आती है। किसान भाइयों को सिंचाई करते समय ध्यान रखना है की हलकी सिंचाई करनी है ताकि पौधों की जड़ों को नुकसान ना हो। किसान अपने खेतों में ड्रिप इरिगेशन या फव्वारा सिस्टम का इस्तेमाल भी सिंचाई करने के लिए कर सकते है। इससे पानी की बर्बादी भी नहीं होती है और सिंचाई का काम भी अच्छे से पूरा हो जाता है।

कीटों और बीमारियों पर नजर रखना जरुरी है

किसानो को अपने बाजरे की खेती में इस बात का ध्यान भी रखना जरुरी है की कहीं खेत में किसी भी प्रकार के कीटों का या फिर बिमारियों का प्रकोप तो नहीं हो रहा है। अगर आप इस पर ध्यान नहीं रखेंगे तो ये काफी तेजी के साथ बढ़ते है और फसल को नष्ट कर सकते है। अगर आपको जरा सा भी कोई शक होता है तो आपको जैविक कीटनाशकों, जैसे नीम का तेल या लहसुन-अदरक का मिश्रण का इस्तेमाल फसल में करना चाहिए। किसान भाइयों इनका इस्तेमाल आपकी बाजरे की फसल को बिमारियों से और कीटों से बचाने के साथ साथ में ये पर्यावरण के लिए भी नुकसानदायक नहीं है। इससे आपकी फसल की गुणवत्ता भी बढ़ जाती है।

तो किसान भाइयों बाजरे की खेती में अगर आपको अधिक पैदावार और मोटे मोटे दानों वाली अच्छी फसल लेनी है तो आपको ऊपर बताई गई सभी बातों पर ध्यान देना जरुरी है। भाइयों उम्मीद है की हमारे जरिये इस आर्टिकल में दी गई जानकारी काम की लगी होगी और अगर आपको ये जानकारी काम की लगी है तो आप जो शेयर जरूर करें ताकि आगे भी किसान भाइयों की मदद हो सके। धन्यवाद

Atul Bharat

भारत कृषि प्रधान देश है और किसान देश की जान है। अतुल भारत किसानों को एक कदम आगे लेकर जाने और कृषि क्षेत्र में उनकी मदद करने का एक छोटा सा प्रयास है। इसके जरिये किसानों को खेती से जुड़ी जानकारियां प्रदान की जाती है।

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