आज के समय में जैसे जैसे विज्ञान आगे बढ़ रहा है तो कृषि के क्षेत्र में भी कई आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल होने लगा है। हालांकि जिस ज़ीरो टिलेज तकनीक की हम आज के आर्टिकल में बात करने वाले है ये पुराणी और पारम्परिक तकनीक है लेकिन अब इसको आधुनिक बनाया गया है। इस तकनीक के में खेतों की जुताई करें बिना ही किसान अपनी फसलों के बीजों की बुवाई खेतों में करता है जिससे खेतों में उर्वरता शक्ति को बढ़ाया जाता है।
साथ ही इसकी मदद से पानी की लागत, जुताई का खर्चा भी कम हो जाता है और पर्यावरण के लिए भी इसको काफी अच्छा माना जाता है। आज के अतुल भारत के इस आर्टिकल में आप सभी को कृषि की इस नै तकनीक के बारे में हम जानकारी देने वाले है ताकि आप सभी भी इसके जरिये लाभ ले सके।
ज़ीरो टिलेज कैसे काम करती है
किसान भाइयों इस तकनीक में किसान अपने खेतों की जुताई नहीं करता और सीधे ही फसलों के बीजों को मिटटी में डालने का काम करता है। पुरानी फसलों को जो अवशेष खेत में रह जाते है जैसे पुआल आदि उनको खेत में ही छोड़ दिया जाता है। खेत में बीजों की बुवाई ज़ीरो टिल ड्रिल या हैप्पी सीडर मशीनों की मदद से की जाती है।
पिछली फसलों के जो अवशेष होते है वो मिटटी को ढंकने का काम करते है जिससे खेत में नमी बनी रहती है और खरपतवार भी कम उगते है। इसके अलावा इस तकनीक में बीजों को एक सही गहराई में उर्वरकों के साथ में डाला जाता है जिससे समय पर सभी बीज अंकुरित होकर बाहर आ जाते है।
इस तकनीक के जरिये किसान अपने खेतों में धान-गेहूँ, मक्का, दलहन, और तिलहन जैसी फसलों की बुवाई करके खेती कर सकते है। फसल चक्र को भी इस तकनीक में अपनाया जाता है जैसे अगर आप इस साल धान की खेती कर रहे है तो अगले साल उस खेत में धान की जगह कोई दूसरी फसल की बुवाई कर देते है।
दलहन फसलों में इस तकनीक से चना, मसूर, मूंग, और उड़द आदि की बुवाई की जाती है जिससे आपको पैदावार काफी अच्छी मिल जाती है। साथ में कपास की बुवाई भी इस तकनीक की मदद से की जा सकती है।
ज़ीरो टिलेज तकनीक के क्या क्या लाभ मिलते है?
किसान भाइयों इस तकनीक के जरिये अगर आप खेती करते है तो इसके कई लाभ आपको मिलने वाले है जिसमे सबसे बड़ा लाभ तो ये है की आपके खेती की मिटटी की उर्वरता शक्ति बरक़रार रहती है। बार बार जुताई करने से खेतों में मिटटी की संरचना पर प्रभाव पड़ता है तो कार्बनिक पदार्थ काफी कम हो जाते है इसलिए बार-बार जुताई से मिट्टी की संरचना खराब होती है और कार्बनिक पदार्थ कम होते हैं। ज़ीरो टिलेज तकनीक आपके खेत की मिट्टी के सभी सूक्ष्मजीवों और पोषक तत्वों को संरक्षित करने का काम करती है।
फसलों के जो अवशेष खेतों में रह जाते है वो सभी जैविक खाद के रूप में आपकी फसल के काम आते है जिससे आपको अधिक उर्वरक खेतों में देने की जरुरत नहीं पड़ती। इसके साथ ही आपके खेत में नमी की मात्रा भी बनी रहती है और इसके कारण आपको लगभग 30 फीसदी कम सिंचाई खेतों में करनी पड़ती है।
इस तकनीक से खेती करने पर आपकी लागत काफी कम हो जाती है क्योंकि आपको खेत की तैयारी के समय की जाने वाली जुताई नहीं करनी पड़ती और खाद तथा पानी भी कम देना पड़ता है। खरपतवारों का खतरा भी काफी कम हो जाता है और ये तकनीक पर्यावरण के हिसाब से भी काफी अच्छी मानी जाती है क्योंकि इससे वायु प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन बहुत ही कम हो जाता है।
ज़ीरो टिलेज और DSR तकनीक में क्या अंतर है?
किसान भाइयों शुरूआती जानकारी में तो आपको दोनों ही तकनीक एक जैसे ही लगेगी लेकिन इनमे थोड़ा अंतर है। जो DSR (Direct Seeded Rice) तकनीक है ये केवल धान की बुवाई के लिए उपयोग में ली जाती है और इसके जरयीए धान की सीधी बुवाई की जा सकती है इसलिए इसमें बुवाई से पहले जुताई हो भी सकती है और नहीं भी हो सकती। अगर खेत समतल नहीं है तो आपको जुताई करके उसको समतल करना पड़ सकता है।
लेकिन जो ज़ीरो टिलेज तकनीक है ये खेत में जुताई को पूरी तरह से खत्म कर देती है यानि आपको जुताई करने की जरुरत बिलकुल भी नहीं पड़ती है। इसके जरिये आप अपने खेत में कई अलग अलग फसलों की बुवाई कर सकते है। धान की बुवाई से पहले अगर जुताई के प्रोसेस को खत्म कर दिया जाता है तो फिर DSR तकनीक को ज़ीरो टिलेज तकनीक का ही एक हिस्सा माना जा सकता है।
किसान भाइयों उम्मीद है की आपको अतुल भारत के इस आर्टिकल में आज ज़ीरो टिलेज तकनीक के बारे में डिटेल में जानकारी मिल गई होगी और इसके साथ ही आपको इन तकनीक के लाभ के बारे में भी अच्छे से पता चला गया होगा। अगर आपको हमारा ये आर्टिकल काम का लगा हो तो आप इसको अधिक से अधिक शेयर करें। धन्यवाद